मेरी ग़ज़लें फूल या बुलबुल नहीं हैं

मेरी ग़ज़लें फूल या बुलबुल नहीं हैं इसलिए ये आपके काबिल नहीं हैं   इनमें भी संगीत है, पर है अलग सा ये किसी के पाँव की पायल नहीं हैं   देखती हैं, सोचती हैं, ये भी लेकिन फ़र्क़ है ये भीड़ में शामिल नहीं हैं   धार है, इक आग है इन सबके भीतर … Continue reading मेरी ग़ज़लें फूल या बुलबुल नहीं हैं